शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

लुढ़क गए दुनियाभर के बाजार

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका में मंदी की आशंका से दुनिया भर के बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी बाजारों की बात करें तो डाओ जोंस में दिसंबर 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका में अभी 2 दिन पहले कर्ज सीमा को बढ़ाने के बिल को मंजूरी मिली है लेकिन महज उस बिल के पास हो जाने से अमेरिका की चिंता खत्म होती नहीं दिख रही है। गुरुवार के कारोबारी सत्र में डाओ जोंस 500 अंक से ज्यादा लुढ़ककर 11,383 पर बंद हुआ। 21 जुलाई 2011 के बाद से डाओ जोंस में 1200 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। दिसंबर 2008 के बाद यानी की पिछली मंदी के बाद अमेरिकी बाजार में ये एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।आज अमेरिका में बेरोजगारी के आंकड़े जारी होने वाले हैं। लेकिन आंकड़ों से पहले बाजार में जो बिकवाली देखी गई। उससे लगता नहीं है ये आंकड़े अच्छे नहीं रहने वाले हैं। डॉलर की कमी और दुनियाभर में आर्थिक मंदी की खबरों का डर अमेरिका के बाजारों पर साफ नजर आ रहा है। नैस्डेक 136 अंक यानि 5 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 2556 के स्तर पर बंद हुआ। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था वाले देश के बाजरों में हुए इस उथल-पुथल का असर दुनियाभर के दूसरे बाजारों पर भी देखना को मिला। चीन, हांगकांग, सिंगापुर, जापान सहित पूरे यूरोप के बाजार धाराशायी हो गए। इससे दुनियाभर में निवेशकों को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

अमेरिका को बुखार लगी है तो कोरोसीन पूरी दुनिया को खाना पड़ रहा है.