मंगलवार, 2 अगस्त 2011

आर्थिक मोर्चे पर भी सरकार बैकफुट पर

देश में आर्थिक रिफॉर्म लाने वाले वित्त मंत्री आज हमारे देश के प्रधानमंत्री है। फिर भी आर्थिक मोर्चे पर देश की स्थिति दिन ब दिन नाजुक होती जा रही है। 8.5 और 9 फीसदी ग्रोथ का असर दूर दराज इलाकों में कम ही देखने को मिल रहा है। ये ग्रोथ एक खास तबके तक सिमट कर रह गया है। और अब तो स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। पहले किए गए सरकार के तमाम दाबों के बावजूद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद यानी पीएमईएसी को चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाने पर मज़बूर होना पड़ रहा है। भ्रष्टाचार में आरोपों में घिरी सरकार को आर्थिक क्षेत्र में भी मुंह की खानी पड़ रही है। कभी 9 फीसदी आर्थिक विकास का दावा करने वाली यूपीए टू सरकार बगलें झांक रही है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने चालू वित्त वर्ष यानी साल 2011-2012 के दौरान आर्थिक विकास दर के अनुमान को 9 फीसदी से घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया है। 2008 की मंदी से अलग इसबार आर्थिक फ्रंट पर दुनियाभर में छाई अनिश्चितताओं का असर भारत में शुरूआत में ही दिखने लगा है। निवेश की बिगड़ती हालत से अब सरकारी खेमा भी परेशान होने लगा है। वित्त मंत्री आनन-फानन में देश के उद्योगपतियों के साथ बैठक कर रहे हैं। सरकार का कहाना है मौजूदा वैश्विक हालात में इस 8.2 अनुमानित विकास दर को भी अच्छा मानना चाहिए। यानी सरकार अपनी पीठ खुद थपथपाना चाह रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार लोगों को आने वाले दिनों में और कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहने की भी हिदायत दे रही है। सरकार का कहाना है कि निकट भविष्य में वैश्विक आर्थिक और वित्तीय हालात सुधरने की उम्मीद कम है। ऐसे में साल 2011-2012 की पहली तिमाही की ऊंची निर्यात दर को बरकरार रखना मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बढ़ती महंगाई से भी फिलहाल लोगों को राहत नहीं मिलने वाली है। क्योंकि अक्टूबर तक महंगाई दर 9 फीसदी के उच्च स्तर पर बनी रहेगी। साथ ही इस साल सामान्य मानसून के अनुमान के बावजूद कृषि विकास दर पिछले साल के 6.6 फीसदी के मुकाबले आधा से भी कम यानी 3 फीसदी हो सकती है। साथ ही विदेशी संस्थागत निवेश यानी एफआईआई भी इस साल घटकर आधा रह सकता है। पिछले साल एफआईआई ने करीब 30 अरब डॉलर देश में लगाए थे। लेकिन 2011-2012 में ये सिर्फ 14 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में विकास दर,निर्यात,कृषि,एफआईआई सहित ज्यादातर अहम आर्थिक क्षेत्रों में इस साल गिरावट का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आर्थिक मोर्चे पर सरकार किस तरह से नाकाम साबित हो रही है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

जागो मनमोहन प्यारे...