सरकार ने 16 मार्च को बजट पेश करने का ऐलान किया है। हालांकि सरकार के सामने इस बार चुनौतियां ज्यादा हैं। मंदी की चंगुल में फंसता जा रहा है देश। अमेरिका और यूरोपीय देशों के आर्थिक संकट में फंसने का साफ असर भारत पर दिखने लगा है। आर्थिक ग्रोथ रेट का अनुमान कम हो चुका है। साथ ही स्टैडर्ड एंड पुअर्स ने एक बार फिर से भारत की रेटिंग कम करने की चेतावनी दी है।
रेटिंग ऐजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने भारत सरकार को आगाह किया है कि अगर सरकार खर्चे पर लगाम नहीं लगाती। तो भारत की इन्वेस्टमेंट रेटिंग निगेटिव की जा सकती है। फिलहाल भारत की रेटिंग बीबीबी माइनस है जो कि स्टेबल यानी स्थिर श्रेणी में आता है। भारत का व्यापार घाटा, राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा और बजटीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसी तमाम परेशानियों से सरकार कैसे निबटेगी इसका फैसला बजट 2012-2013 में होगा।
कई राज्यों में हो रहे चुनावों की वजह से वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इसबार 16 मार्चे को आम बजट पेश करेंगे।भारत की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती दिख रही है। आर्थिक विकास दर में भारी गिरावट की संभावना जताई जा रही है। भारत की आर्थिक विकास दर साल 2011-2012 में 6.9 फीसदी तक रह सकती है। जो कि पिछले तीन सालों में सबसे कम है। सरकारी आंकड़ों में ये बात सामने आई है। सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑर्गेनाइजेशन यानी सीएसओ के आंकड़ों में ये बात कही गई है। विकास दर में गिरावट की मुख्य वजह है मैन्युफैक्चरिंग, एग्रिकल्चर और माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ में गिरावट की वजह से आर्थिक विकास दर में गिरावट आई है।
पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 8.4 फीसदी थी। कृषि क्षेत्र में विकास दर 2011-12 में घटकर 2.5 फीसदी रहने का अनुमान है। जबकि 2010-11 में ये 7 फीसदी थी। विनिर्माण क्षेत्र में विकास दर घटकर 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जो कि पिछले वित्त 7.6 प्रतिशत थी। सीएसओ का जीडीपी विकास दर का अनुमान रिजर्व बैंक के अनुमान से कम है। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। वहीं सरकार ने पिछले वर्ष फरवरी में बजट से पूर्व समीक्षा में आर्थिक विकास दर 9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। कुंद हो रही देश की आर्थिक दशा को अगर समय रहते नहीं संभाला गया तो देश एकबार फिर बुरी तरह मंदासुर की जाल में फंस सकता है। जिससे निकले में इसे वर्षों लग जाएंगे।
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