बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट

बजट से ठीक पहले जीडीपी के आंकड़े ने सरकार की नींद उड़ा दी है। भारत की जीडीपी विकास दर 33 महीनों के अपने निचले स्तर पर जा पहुंचा है। निवेश में कमी और महंगाई में बढ़ोतरी की वजह से जीडीपी विकास दर में ये गिरावट देखने को मिली है।

नौ फीसदी की विकास दर का सपना देखने वाले वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को अब महज़ 7 फीसदी जीडीपी विकास दर हासिल करने के लिए भी एड़ी चोटी का पसीना बहाना पड़ रहा है। अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर लुढ़ककर 6.1 फीसदी पर जा पहुंची। जो कि करीब तीन साल का सबसे निचला स्तर है। जुलाई से सिंतबर की तिमाही में जीडीपी विकास दर 6.9 फीसदी थी। पिछले लगातार 7 तिमाही से जीडीपी विकास दर में गिरावट जारी है। इसके कई कारण हैं। कच्चे सामानों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की वजह से इंडस्ट्री में होने वाले निवेश में कमी आई है। जिससे मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले 5 वर्षों में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था विकास की तेज़ रफ्तार के लिए तरसती नज़र आने लगी है। और इस स्थिति के लिए ग्लोबल परिस्थितियों के साथ ही सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।

साल 2007 से साल 2009 तक भारत की आर्थिक विकास दर औसतन 9.5 फीसदी थी। जबकि पिछले 2 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था औसतन 8.4 फीसदी की दर से बढ़ी है। ऐसे में सरकार को एक बार फिर से रिफॉर्म तेज़ करने की ज़रूरत है। नहीं तो डबल डिजिट में विकास दर हासिल करने का सपना कभी साकार नहीं हो पाएगा।

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