टेलीकॉम मामलों के ट्रिब्यूनल टीडीसैट ने थ्री जी रोमिंग पर किसी एक
पक्ष के हित में फैसला नहीं सुनाया है। दो सदस्यीय टीम में एक ने सरकार के पक्ष
में और दूसरे ने टेलीकॉम ऑपरेटर के पक्ष में फैसला सुनाया है। ऐसे में थ्री जी
रोमिंग का मामला एक बार फिर से उलझ गया है। ऐसे में टेलीकॉम ऑपरेटर्स थ्रीजी
रोमिंग के जरिए सरकार को चूना लगाते रहेंगे।
- रोमिंग के जरिए हो रही है लूट
- टेलीकॉम ऑपरेटर्स सरकार और थ्री जी ग्राहकों को लगा रहे हैं चूना
- सवालों के घेरे में 3थ्री जी की नीलामी
- 22 सर्किल तक जानबूझकर नहीं पहुंची कंपनियां
- कुछ सर्किल की कीमत पर देशभर में कर रही हैं कमाई
टेलीकॉम मामलों को निपटाने वाले ट्रिब्यूनल टीडीसैट के फैसले से
टेलीकॉम ऑपरेटर्स और सरकार को झटका लगा है। क्योंकि थ्रीजी रोमिंग मामले पर
डीडीसैट के दो सदस्यों में से एक ने टेलीकॉम ऑपरेटर के पक्ष में फैसला सुनाया है।
यानी कि थ्रीजी रोमिंग को जायज ठहराया है। वहीं दूसरे सदस्य ने थ्रीजी रोमिंग को
अवैध बताया है।
2010 में थ्रीजी बैंडविथ की नीलामी हुई थी। जिसमें किसी टेलीकॉम
ऑपरेटर को देश के कुल 22 सर्किल में थ्रीजी वैंडविथ नहीं मिल पाई। इस नीलामी से सरकार
को 12 अरब डॉलर की कमाई हुई। एयरटेल ने 2.2 अरब डॉलर में सबसे ज्यादा 13 सर्किल
में थ्रीजी लाइसेंस जीत लिया। वहीं वोडाफोन को 2.1 अरब डॉलर में 9 सर्किल में
थ्रीजी लाइसेंस मिला। जबकि 1 अरब डॉलर खर्च कर आइडिया ने 12 सर्किल में थ्रीजी
सेवा का लाइसेंस जीता।
पिछले साल थ्रीजी सर्विस शुरू होने के बाद टेलीकॉम मंत्रालय ने टेलीकॉम
ऑपरेटर्स को दूसरे ऑपरेटर्स के सर्किल में थ्रीजी सेवा देने को अवैध ठहराया था।
इसके विरोध में कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने टीडीसैट का दरवाजा खटखटाया था। जानकारों
का मानना है कि टीडीसैट के इस फैसले के बाद फिलहाल रोमिंग में रुकावट नहीं आएगी।
लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि 1 या 2 या 10 सर्किल की लाइसेंस जीतकर
अगर कोई टेलीकॉम ऑपरेटर पूरे देश में सेवा दे रही है। तो इससे सरकार को अरबों रुपए
का नुकसान हो रहा है। साथ ही थ्री जी ऑक्शन की पूरी प्रक्रिया पर ही सवालिया निशान
लग चुका है। क्योंकि अगर रोमिंग के जरिए कंपनी थ्रीजी सेवा दे सकती हैं तो बाइस
टेलीकॉम ऑपरेटर्स एक-एक सर्किल का लाइसेंस लेकर देशभर में अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
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