शुक्रवार, 1 जुलाई 2011
खाना बन जाएगा लग्जरी आइटम
आने वाले वर्षों में दुनिया किसी चीज की अगर सबसे ज्यादा कीमत होगी। तो वो होगा खाना। खाने के लिए लोग कोई भी कीमत देने को तैयार होंगे। लेकिन उन्हें खाना नसीब नहीं होगा। लोगों को दो समय के भोजन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। अगर अभी भी दुनयाभर की सरकार नहीं जागी तो इस भयावह स्थिति से हमें कोई नहीं बचा सकता।
दरअसल जिस रफ्तार से खाने वाले लोगों की संख्यां बढ़ रही है। उस रफ्तार से हमारी उपज नहीं बढ़ रही। यहां तक की भारत जैसे कई देशों में उपजाऊ ज़मीन पर भी बिल्डिंगे और कारखाने लगाए जा रहे हैं। जिसका खामियाजा इन देशों को आने वाले दिनों ज़रूर देखने को मिलेगा। साथ ही बाढ़ और सूखे की वजह से फसल बर्बाद हो रहे हैं। यही नहीं अमेरिका सहित कई देश फसलों से इथिनॉल पैदा कर रहे हैं।
यूनाईटेड नेशन के फूड और एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन यानी एफएओ और वर्ल्ड बैंक बार-बार इस मुद्दे को दुनिया के सामने रख रहा है। अभी हाल ही में 20 देशों के कृषि मंत्रियों के साथ इनकी बैठक हुई है। जिसमें वर्ल्ड बैंक और एफएओ ने कृषि उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर दिया है। और कृषि क्षेत्र में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। ताकि कंज्यूमर के बढ़ते रफ्तार के साथ ही फसलों के उत्पादन में भी तेजी लाई जा सके।
खाने-पीने के सामानों की कीमतों में जबरदस्त तेजी के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है। डिमांड में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है जबकि सप्लाई में कमी बनी हुई है। एफएओ की माने तो पिछले 11 महीनों में खाने पीने की कीमतों में करीब 9 गुना तेजी आई है। और इस महंगाई ने करीब 4 करोड़ 40 लाख लोगों को गरीबी में धकेल दिया है।
आज भले ही ताकतबर और पैसे वाली इकॉनोमी पैसे के दम पर दुनिया से सबसे बेहतर उत्पाद का सेवन कर रहे हों। लेकिन एक दिन ऐसा आएगा जब करोड़ो रुपए खर्च करने के बावजूद उन्हें अन्न नसीब नहीं होंगे। तब उन्हें उन उपजाऊ देशों पर कोई ना कोई बहाना बनाकर हमला करना पड़ेगा जैसे आज वो तेल के लिए कर रहे हैं।
इसलिए आज की तारीख में अगर कोई किसान अपनी ज़मीन कुछ पैसों की लोभ पर अगर बेच रहा है तो उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे कुछ पैसे जोड़कर और ज़मीन खरीदनी चाहिए। क्योंकि आने वाले दिनों में फसलों की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ने वाली है। और तब अमीर आदमी की गिनती इस बात पर होगी की वो कितना और क्या खाता है ना कि उसके पास कितनी गाड़ियां और कितने फ्लैट हैं।
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1 टिप्पणी:
भारत को अभी से सतर्क होने की ज़रुरत है क्योंकि प्रकृति ने हमें खेती के लिए पर्याप्त ज़मीन दी है। लेकिन इसपर इंडस्ट्री और बिल्डिंग बनाए जा रहे हैं। इसे रोकने की ज़रूरत है। ना कि इसपर राजनीति करने की।
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