मंगलवार, 5 जुलाई 2011
जुगाड़ का होगा पेटेंट
भारतीय जुगाड़ को मिलने वाला है लीगल सपोर्ट। जी हां जुगाड़ से बनी चीजों पर आने वाले दिनों में कॉपीकैट या पाइरेसी का आरोप नहीं लगेगा। क्योंकि भारत सरकार इसे इंटीलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के अंतर्गत लाने वाली है। इस दिशा में डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रोमोशन जल्द ही एक बिल पारित करने वाली है। जिसके तहत जुगाड़ से बनी चीजों का होगा पेटी पेटेंट्स या इनोवेशन पेटेंट्स। इस पेटेंट्स से छोटे घरेलू उद्योगों को काफी राहत मिलेगी। यानी की उनपर पेटेंट नियम का पूरी तरह से पालन करने का दबाव नहीं रहेगा। इस तरह के पेटेंट को यूटिलिटी मॉडेल्स भी कहा जाता है। ये मॉडल जापान, जर्मनी, चीन सहित करीब 50 देशों में पहले से मौजूद है।
हालांकि इंटेल, माइलेन जैसी दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां इसका विरोध कर रही हैं। उनको डर है कि इस तरह के पेटेंट का दुरुपयोग हो सकता है। लेकिन डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने इसका सपोर्ट किया है। डीआरडीओ का मानना है कि इस तरह के पेटेंट से वेपन सिस्टम के विकास में भी मदद मिलेगी। वहीं साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने सरकार को राय दी है कि जुगाड़ के जरिए तैयार किए गए प्रोडक्ट्स के पेटेंट की सीमा 8 से 10 साल तक ही रखना चाहिए।
इस पेटेंट के तहत क्ले रेफ्रिजरेटर, कूकर की सिटी सुनकर बंद होने वाले गैस स्टोव के स्वीच जैसे प्रोडक्ट आएंगे। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने साल 2000 से इस तरह के करीब 1 लाख आइडिया का डेटाबेस तैयार किया है। जिसमें से 200 का पेंटेट भारत में और 33 का पेटेंट अमेरिका में हो चुका है। जुगाड़ बिल या पेटी पेटेंट के लागू हो जाने के बाद देशी तरीकों से तैयार प्रोडक्ट की बिक्री में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। और हो सकता है आने वाले दिनों में आपके हाथ में देशी तरीके से बना कोई आईपैड-आईफोन यानी इंडियापैड या इंडियाफोन आ जाए तो आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए।
हालांकि सरकार ने जुगाड़ के इस्तेमाल को फॉर्मा सेक्टर से दूर रखा है। क्योंकि दबाई बनाने में जुगाड़ अगर काम नहीं किया तो लोगों की जान जा सकती है।
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1 टिप्पणी:
अब तो लोग कहेंगे ये मेरा जुगाड़ है प्लीज़ इसकी कॉपी मत करो.
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