शनिवार, 9 जुलाई 2011

एफएम को सरकारी माउथपीस बनाने की तैयारी

जैसे-जैसे एफएम रेडियो का विस्तार होगा। एफएम रेडियो मीडिया का एक ताकतबर माध्यम बनकर उभरेगा। सरकार इसे बखूबी जानती है। तभी इसे अपने पक्ष में यूज करने की जुगत में लगी है। जी हां सरकार ने तीसरे चरण में एफएम रेडियो के 227 चैनलों की नीलामी की मंजूरी दे दी है। इससे सरकार को 1733 करोड़ रुपए की कमाई होगी। और एफएम रेडियो का जाल 86 शहरों से बढ़कर 294 शहरों में फैल जाएगा। सरकार की मंशा 839 एफएम रेडियो की माध्यम से अपनी पीठ थपथपाना और अपनी परियोजनाओं का प्रचार करना है। यही वजह से की सरकार ने एफएम चैनलों को न्यूज प्रसारण की इजाज़त नहीं दी है। लेकिन सरकारी बुलेटिन के प्रसारण की छूट इन एफएफ रेडियो को दे दिया है। यानी अगर कोई एफएम रेडियो चाहे तो ऑल इंडिया रेडियो के बुलेटिन का प्रसारण कर सकती है। लेकिन वो भी अनकट यानी उस बुलेटिन में किसी तरह का बदलाव की इजाज़त नहीं होगी। हालांकि स्थानीय लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्पोर्ट्स के आयोजनों, ट्रैफिक, मौसम, प्रतियोगी परीक्षाओं, प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य और जल-बिजली की आपूर्ति से संबंधित खबरों को दिखाने की इजाज़त होगी। लेकिन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खबरें, मुद्रा, बैंकिंग, व्यापार, प्रतिरक्षा, विदेश नीति, राजनीति और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित खबरें ऑल इंडिया रेडियो से ही उठानी होंगी। इतने सालों के बाद भी एफएम रेडियो पर न्यूज तो चलेगा लेकिन सरकारी। सरकार को इस फैसले पर एक बार फिर से गौर फरमाने की ज़रूरत है। क्योंकि अब जमाना बदल चुका है। खबरों के लिए बहुत सारे ऑप्शन बाजार में आ चुके हैं। क्षेत्रीय टीवी चैनलों की पहुंच भारत के चप्पे चप्पे तक पहुंच चुकी है। इंटरनेट के इस जमाने में अमेरिका भी न्यूज पर लगाम लगाने की स्थिति में नहीं है। विकीलिक्स ने अमेरिका की नींद उड़ा रखी है। ऐसे में सरकार अगर सचमुच अपनी बात लोगों तक पहुंचाना चाहती है। तो उसे खबरों की विश्वसनीयता बढ़ाने पर जोर देना होगा। और तब सरकार को कानून बनाकर उसे कहीं चलवाने की ज़रुरत नहीं होगी। चैनल और रेडियो वाले उसे खुद ब खुद चलाएंगे। ऐसे में सरकार को जागने की ज़रुरत है। अगर कानून बनाकर सरकार जबरदस्ती अपनी खबरों को चलाना चाहेगी तो उससे कुछ ज्यादा बदलाव संभव नहीं है। क्योंकि लोग अब समझदार हो गए हैं। पहले भी लोग ऑल इंडिया रेडियो से ज्यादा बीबीसी पर भरोसा करते थे। अब तो खैर खबरों के साधन कई गुना बढ़ चुके हैं। ऐसे में एफएम रेडियो पर स्वतंत्र न्यूज नहीं चलाने का सरकार का ये फैसला स्वागत योग्य नहीं है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

सरकारी रेडियो जो बनेगा उसका टीआरपी खत्म हो जाएगा..सरकारी न्यूज चलाने से बेहतर है न्यूज नहीं चलाना..