सोमवार, 11 जुलाई 2011
विदेशी कार कंपनियों की प्रफुल को ज्यादा चिंता!
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री प्रफुल पटेल ने विदेशी कंपनियों को राहत दिलाने की ठान ली है। इसके लिए आयात करों में राहत के लिए वित्त मंत्रालय से वकालत करने का आश्वासन दिया है। इस बजट में सरकार ने कंपलीटली नॉक्ड डाउन यूनिट यानी सीकेडी यूनिट पर आयात कर सरकार ने 10 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया था।
बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, ऑडी और फेरारी जैसी गाड़िया पहले ही काफी महंगी होती हैं। ऐसे में सरकार के कंपलीटली नॉक्ड डाउन यूनिट पर आयात कर 10 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी करने पर ये गाड़ियां और महंगी हो गयीं। जिसके बाद विदेशी कार बनाने वाली कंपनियों ने काफी हाय तौबा मचाया। इसे सुनकर सरकार ने सीकेडी पर ड्यूटी घटाकर 30 फीसदी कर दिया। लेकिन कंपनियां इसे और कम करबाना चाहती हैं। ऐसी महंगी कारों को खरीदने वाले करोड़पतियों का ख्याल हमारे भारी उद्योग मंत्री को भी है। इसीलिए वो इसपर टैक्स की कमी करने की वकालत वित्त मंत्रालय से करने की तैयारी में हैं। और इसका आश्वासन दे रहे हैं।
जबकि टैक्स इसलिए बढ़ाया गया है कि ये कंपनियां टैक्स की डर से भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाएंगी। इससे ना केवल देश में निवेश बढ़ेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। लेकिन इसके लिए लगतार है केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल सहमत नहीं हैं। हालांकि भारतीय ऑटो इंडस्ट्री की सिरमौर संस्था सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन यानी सियाम के साथ बैठक में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री ऑटो इंडस्ट्री को नए मुकाम पर पहुंचाने की जरूरत पर जरुर बल दे रहे हैं। और इसके लिए हर छे महीने में ऑटो इंडस्ट्री के साथ बैठक की बात की है। लेकिन मंत्री जी की बातों में सस्ती कारों और देशी ऑटो कंपनियों के विकास से ज्यादा विदेशी कंपनियों के हितों की चिंता झलक रही थी। ऐसे में लगता है इन्होंने एयर इंडिया का जो हाल किया है वो भविष्य में कहीं हमारे ऑटो इंडस्ट्री की ना हो जाए।
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1 टिप्पणी:
प्रफुल्ल विदेशी कंपनियों की चिंता नहीं करेंगे तो अपनी बेटी की शादी में करोड़ों रुपए कैसे खर्च कर सकते हैं!
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