बढ़ती महंगाई के बाद अब रुपए की कमज़ोरी ने सरकार की नीदें उड़ा दी है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 32 महीनों के अपने निचले स्तर पर आ चुका है। इससे भारत में होने वाला आयात काफी महंगा हो गया है।
वित्त मंत्री मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लगातार कमज़ोर होते जा रहे रुपए पर चिंता जताते हुए कहा है कि रुपए की वैल्यू पर आरबीआई यानी रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया नज़र बनाए हुए है। आरबीआई ज़रुरत पड़ेने पर रुपए की मज़बूती के लिए कमद उठाएगा। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए का लुढ़कना जारी है। डॉलर के मुक़ाबले रुपया 24 पैसे लुढ़ककर 32 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच चुका है। जिससे एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 50 रुपए 91 पैसे पर जा पहुंची है। सबसे ज्यादा लुढ़कने वाली करेंसी के मामले में रुपया दुनिया में चौथे पायदान पर आ चुका है। जबकि एशियाई करेंसी में सबसे ज्यादा कमज़ोरी रुपए में ही दर्ज की जा रही है।
रुपए में गिरावट का असर भारत के आयात पर देखने को मिल रहा है। खासकर कच्चा तेल के आयात पर। क्योंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 70 फीसदी तेल आयात करता है। और रुपए में कुछ पैसे की गिरावट के चलते तेल मार्केटिंग कंपनियों को लाखों रुपए ज्यादा भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चा तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा भारत को कम हो पाता है।
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