लागातर बढ़ रही महंगाई ने आम लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। खाद्य महंगाई दर 11 फीसदी के पार पहुंच गई है। जो कि छे महीनों का उच्चतम स्तर है। महंगाई को रोकने के लिए उठाई गई सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों पर लगाम लगाने में सरकार लागातार विफल साबित हो रही है।
महंगाई ने आम लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। खाने-पीने के सामानों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। खाद्य महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है।
15 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 11.43 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जो इससे पहले हफ्ते में 10.6 फीसदी थी। महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। खाद्य महंगाई दर बढ़ने के पीछे सब्जियों और अनाज़ का महंगा होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है।
सब्जियों की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं फल 11.96 फीसदी मंहगे हुए हैं। जबकि दूध की कीमत 10.85 फीसदी बढ़े हैं। मांस व मछली की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 12.82 फीसदी तेजी आई है। दालें 9.06 फीसदी मंहगी हुईं हैं। साथ ही अनाज की कीमतें 4.62 फीसदी बढ़ी हैं।
सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मार्च 2010 से अबतक 13 बार अहम दरों में बढ़ोतरी की है। लेकिन आरबीआई के इस कदम के बावजूद महंगाई रुकने के बजाए बढ़ती जा रही है। लगातार बढ़ रही रेपो रेट का उल्टा असर हो रहा है। यानी औद्योगिक विकास दर में लगातार कमी आ रही है। जीडीपी विकास दर का अनुमान लगातार नीचे फिसल रहा है। लेकिन महंगाई इससे बेखबर लगातार बढ़ती जा रही है।
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