गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

मारुति कर्मचारियों के हितों की अनदेखी

मारुति सुजूकी कंपनी हरियाणा में मज़दूरों को दबाने की पूरी कोशिश में लगी है... और इस काम में हरियाणा सरकार भी खुलकर कंपनी का साथ दे रही है... सख्त कानून और बात-बात पर कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा देने से कर्मचारी खफा हैं...इन्हें हड़ताल पर जाने को मजबूर किया जा रहा है...

मारुति के मानेसर प्लांट के कर्मचारियों पर कंपनी का जुल्म दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है....प्रबंधन के जुल्म से मुक्ति के लिए कंपनी के कर्मचारियों ने यूनियन बनाने की बात की तो उन्हें ऐसा करने से रोका गया...अपने हक के लिए कर्मचारियों ने जून में 13 दिन की हड़ताल की...हरियाणा सरकार ने कोरे वादे कर हड़ताल तुड़वा दी... इसके बाद कंपनी ने कर्मचारियों की क्षमता और योग्यता पर ही सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया... और इसकी आड़ में एक-एक करके कई कर्मचारियों को बर्खास्त और सस्पेंड कर दिया गया... गुस्साए कर्मचारियों ने फिर हड़ताल कर दी... 33 दिनों की इस हड़ताल के बाद हरियाणा सरकार और कंपनी मैनेजमेंट ने फिर सभी कर्मचारियों को काम पर रखने का भरोसा दिलाया। लेकिन काम शुरू होते ही इस वादे से मुकर गई।

हड़ताल खत्म होने पर जब कर्मचारी काम पर गए तो उन्हें उनके काम के बजाए दूसरा कामों में लगा दिया गया...ताकि उनसे ग़लती हो और उन्हें बर्खास्त करने का आधार बन जाए...यही नहीं, उन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी कम कर दी गईं...उऩकी बस सर्विस रोक दी गई...गुड कंडक्ट बांड भरवाया गया... जिसके तहत बाथरूम जाने पर भी उसपर धीमी गति से काम करने का आरोप मढ़ दिया जाता है.... और इसी आधार पर उनकी सैलरी काट ली जाती है..

ऐसे दबाव से तंग कर्मचारी एक बार फिर हड़ताल पर चले गए...रात-दिन कर्मचारी प्लांट के बाहर तंबू लगाकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.... लेकिन मैनेजमेंट बाउंसरों और ठेकेदारों के जरिए उन्हें परेशान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है...

मारुति से दशकों से जुड़े कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं...राज्य सरकार भी कंपनी के साथ ही दिख रही है...कर्मचारियों को बिना शर्त काम पर वापस आने की बातें कही जा रही है...राज्य के लेबर मिनिस्टर ने भी कामगारों का साथ छोड़ दिया... और हड़ताल के लिए उन्हें दोषी भी ठहरा रहे हैं... मंत्री महोदय 33 दिन काम नहीं करने पर 66 दिनों के वेतन कटौती के कंपनी के नियम को सही बता रहे हैं... कर्मचारियों ने जहां 99 फीसदी मांगे मान ली है वहीं मैनेजमेंट महज एक फीसदी मांग मानने को तैयार नहीं दिख रहा है...

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