सोमवार, 19 सितंबर 2011
रुपए पर महंगाई की मार
लगातार बढ़ रही महंगाई के सामने रुपए बौने साबित हो रहे हैं। पहले जहां कम पैसे में ज्यादा सामान आते थे। वहीं अब ज्यादा पैसे में कम सामान आते हैं। ऐसे में रिजर्ब बैंक ने बड़े नोटों की ज्यादा छपाई करने का ऐलान कियाहै।
महंगाई की मार से लोग परेशान हैं। लागातार बढ़ रही महंगाई की वजह से रुपए का वैल्यु कम होता जा रहा है। पहले पांच सौ रुपए में बहुत सारी चीजें आ जाती थी। आज पांच सौ रुपए लेकर बजार जाने पर हम कुछ मामूली सामान ही खरीद पाते हैं। अगर कपड़े-जूते खरीदने हैं तो पांच सौ में साधारण से साधारण ब्रांड भी नहीं मिलता।
रुपए की लगातार गिर रहे वैल्यू से निजात पाने के लिए रिजर्ब बैंक ने 1000 रुपए के नोट ज्यादा छापने का ऐलान किया है। इसके साथ ही सरकार कम वैल्यू वाले नोटों की छपाई धीरे-धीरे कमी कर रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि छोटे नोटों के बराबर बड़े नोट छापे जा रहे हैं। इस साल आरबीआई ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 500 रुपए के नोटों की संख्या के बराबर 1000 रुपए के नोट छापेगा। वैल्यू के लिहाज से ऐसा पहली बार होगा कि 1000 रुपए के नोटों की वैल्यू, 500 रुपए के नोटों से ज्यादा होगी। इस साल कुल 2 लाख करोड़ रुपए वैल्यू के 1000 रुपए के नोट यानी की 200 करोड़ नोट छापे जाएंगे। जो कि पिछले साल के मुकाबले दोगुना है। वहीं 200 करोड़ 500 रुपए के नोट छापे जाएंगे जिसकी वैल्यू होगी 1 लाख करोड़ रुपए। पिछले साल 400 करोड़ 500 रुपए के नोट छापे गए थे। लेकिन 500 के नोटों के प्रचलन में कमी आई है। पिछले कुछ समय से बड़े ट्रांजैक्शन में 500 रुपए के बदले 1000 रुपए के नोटों का इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही एटीएम में भी बैंक 1000 रुपए के नोट ज्यादा डालना चाहते हैं। ताकी उन्हें बार-बार एटीएम में कैश डालने की ज़रूरत न पड़े।
हालांकि संख्या के हिसाब से 100 रुपए के नोट अब भी सबसे ज्यादा छापे जाते हैं। इसका प्रिंट ऑर्डर 430 करोड़ पीस से बढ़कर 610 करोड़ पीस तक पहुंच गया है। सरकार ने 50 रुपए के नोट की प्रिंटिंग पिछले साल 200 करोड़ पीस से घटाकर 120 करोड़ पीस कर दी है।
1000 रुपए के करेंसी नोट भारत में छापे जाने वाले सबसे ज्यादा वैल्यू के नोट हैं। आजादी से पहले 1000 रुपए और 10000 रुपए के नोट चलन में थे। लेकिन काले धन पर काबू पाने के लिए जनवरी 1946 में इन पर पाबंदी लगा दी गई। इसके बाद 1000 रुपए, 5000 रुपए और 10000 रुपए की फेस वैल्यू वाले नोट 1954 में दोबारा पेश किए गए थे। लेकिन जनवरी 1978 में इन्हें फिर रोक दिया गया।
आरबीआई के पास 10000 रुपए के मूल्य वाले नोट और 1000 रुपए के सिक्के लाने का अधिकार है। अगर महंगाई दर आगे भी बढ़ती रहती है तो 10000 के नोट और1 हजार के सिक्के हकीक़त बन सकते हैं। पहले हाथ में रुपए लेकर बाजार जाते थे और बैग में सामान भरकर लाते थे। अगर महंगाई बढ़ती रही और ज्यादा मूल्य वाले नोट नहीं छपे तो बैग में रुपए ले जाने पड़ेंगे और उससे इतने कम सामान आएंगे कि लोग उसे आराम से हाथों में लेकर वापस आ जाएंगे।
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