मंगलवार, 20 सितंबर 2011

कर्ज़ से कराह रही हैं रियल्टी कंपनियां

रेपो रेट के लगातार बढ़ने और होम लोन महंगे होने की वजह से देश की दिग्गज रियल एस्टेट कंपनियों का हाल बुरा हो गया है। इन कंपनियों के कर्ज़ का बोझ लगातार बढ़ रहा है। कर्ज़ से निजात पाने के लिए ये कंपनियां अपनी संपत्ति बेचने पर मजबूर हैं। डीएलएफ, यूनिटेक सहित देश की ज्यादातर रियल एस्टेट कंपनियों कर्ज के बोझ तले दबती जा रही हैं। पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले इस साल इन कंपनियों पर कर्ज का बोझ 12 से 15 फीसदी बढ़ चुका है। शेयर बाजार में लिस्टेड देश की 12 दिग्गज रियल एस्टेट कंपनियों पर इस समय करीब 38 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ पर पिछले साल की पहली तिमाही में 18460 करोड़ रुपए का कर्ज था। जो कि इस साल की पहली तिमाही में बढ़कर 21524 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। यूनिटेक पर कर्ज का भार 5160 करोड़ रुपए से बढ़कर 5330 करोड़ रुपए हो गया है। एचडीआईएल पर एक साल में कर्ज 3530 करोड़ रुपए से बढ़कर 3920 करोड़ रुपए हो चुका है। वहीं गोदरेज प्रॉपर्टी पर कर्ज का भार 500 करोड़ रुपए से बढ़कर 940 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। कर्ज बढ़ रहा इस वजह से कंपनियों के मुनाफे में सेंध लग रही है। इस साल की पहली तिमाही में रियल एस्टेट कंपनियों का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 19.5 फीसदी कम हुआ है। कर्ज की मार को कम करने के लिए रियल एस्टेट कंपनियां अपनी संपत्तियां को बेचने पर मजबूर हो रही हैं। डीएलएफ अपनी संपत्ति को बेचकर 7000 करोड़ रुपए जमा करने पर विचार रही है। वहीं यूनिटेक और शोभा डेवलपर्स भी कर्ज को कम करने के लिए अपने लैंड बैंक का सौदा करने को मज़बूर हैं। इसलिए फिलहाल निवेशकों को इन कंपनियों से दूरी बनाए रखना ही समझदारी का काम होगा।

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