देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी अब भी सीबीआई की जांच के घेरे में हैं। आखिर कैसे जुड़ रहे हैं अनिल अंबानी के कंपनियों के तार 2जी घोटाले में। देखते हैं इस खास रिपोर्ट में।
सीबीआई ये पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि स्वान टेलीकॉम के जरिए आरकॉम को किस तरह से फायदा पहुंचा है। जब 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम की पहले आओ-पहले पाओ नीति के आधार पर बंदरबांट हो रही थी। उसमें कई नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए स्वान टेलीकॉम को भी स्पेक्ट्रम हाथ लग गया। क्योंकि स्वान पर अनिल अंबानी का हाथ था।
स्वान टेलीकॉम में अनिल अंबानी के ग्रुप की 9.9 फीसदी हिस्सेदारी थी। स्पेक्ट्रम मिलने के बाद स्वान में अनिल धीरूभाई अंबनी ग्रुप के 9.9 फीसदी शेयर को औने-पौने दामों यानी केवल 15 रुपए प्रति शेयर के भाव से एक मॉरिशस की इन्वेस्टमेंट कंपनी डेल्फी को बेच दिए गए। डेल्फी ने फिर इन शेयरों को 285 रुपए प्रति शेयर के भाव से संयुक्त अरब अमीरात की एतिस्लत नाम की कंपनी को बेच दिया।
इन शेयरों की खरीद फरोख़्त से किसको फायदा पहुंचा सीबीआई इसकी जांच कर रही है। साथ ही सीबीआई ये पता करने की कोशिश कर रही है। कि आखिर क्यों एडीएजी ने स्वान टेली में अपने शेयर सस्ते में बेच दिए। और इन सस्ते शेयर को खरीदने वाली कंपनी के पीछे आखिर कौन है। अनिल अंबानी ग्रुप के तीन अधिकारी टूजी मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। साथ ही आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी से सीबीआई पहले ही एक बार पूछताछ कर चुकी है।
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