बुधवार, 28 सितंबर 2011

ज़मीन पर किंगफिशर रेड

कर्ज की बोझ तले दबे किंगफिशर एयरलाइंस ने अपनी लो कॉस्ट एयरलाइन किंगफिशर रेड को बंद करने का ऐलान किया है। कंपनी के चेयरमैन विजय माल्या ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि लो कॉस्ट क्षेत्र में मार्जिन कम है जबकि कंपीटिशन ज्यादा। किंगफिशर एयरलाइंस पर हजारों करोड़ रुपए का कर्ज जमा हो चुका है।

विजय माल्या लो कॉस्ट एयरलाइंस सर्विस बंद करने के पीछे ये दलील दे रहे हैं कि किंगफिशर एयरलाइंस का लोड फैक्टर बढ़िया है। ऐसे में लो-कॉस्ट एयरलाइंस चलाना समझदारी नहीं है। वहीं दूसरी ओर विजय माल्या ने कह कि कर्जों को कम करने के लिए किंगफिशर एयरलाइंस बाजार से पैसे जुटाएगी। कंपनी के शेयरधारकों ने 2000 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू को भी मंजूरी दे दी है। जबकि कंपनी के जीडीआर इश्यू को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।

किंगफिशर एयरलाइन्स ने शुरू से अब तक कभी भी लाभ नहीं कमाया है। यह हमेशा घाटे में रही है और इसके निवेशकों को भारी घाटा हुआ है। कंपनी के ऑडिटरों ने तो यहां तक कह दिया है कि कंपनी का भविष्य अंधकारमय है। किंगफिशर एय़रलाइन्स ने 2010-2011 में 1027 करोड़ रुपए का घाटा झेला है। केवल इस साल की पहली तिमाही में कंपनी को 263 करोड़ रुपए से ज्यादा का का घाटा हो चुका है। कंपनी का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। किंगफिश एयरलाइंस पर इस समय 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। निवेशक इस बढ़ते हुए कर्ज से भी परेशान हैं।

कर्ज के बढ़ते बोझ ने किंग ऑफ गुड टाईम्स कहे जाने वाले विजय माल्या को भी फिलहाल बैड टाईम्स में पहुंचा दिया है। और उन्हें कर्ज को कम करने के लिए अपने लो कॉस्ट किंगफिशर एयरलाइंस को बंद कर एयरक्राफ्ट को बेचने और किराए पर देने की नौबत आ गई है।

किंगफिशर एयरलाइंस ने 2005 में हुई थी। उसके दो साल बाद एयर डेक्कन को खरीदकर उसे किंगफिशर रेड यानी लो-कॉस्ट एयरलाइंस में बदला गया था। लेकिन गो एयर, इंडिगो, स्पाइस जेट जैसे एयरलाइंस में मिली तगड़ी टक्कर के बाद किंगफिशर रेड को ज़मीन पकड़ने के लिए मज़बूर होना पड़ा।

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